आदर्श सन्तान कैसे उत्पन्न हो?

आदर्श सन्तान, धर्म, पुत्र, सन्तान, बालक, How to be born an ideal child? Swami ramsukhdas pravachan written grahasth me kaise rahe

प्रश्न - आदर्श सन्तान कैसे उत्पन्न हो?

उत्तर - आदर्श सन्तान तभी उत्पन्न हो सकती है जब माता-पिता के आचरण व भाव आदर्श हों, और सन्तान की उत्पत्ति केवल पितृऋण से मुक्त होने के लिए हो, अपने सुख के लिए ना हो, क्योंकि अपनी सुखासक्ति से उत्पन्न की हुई सन्तान प्रायः कम श्रेष्ठ होती है। कुन्ती के आचरण, भाव आदर्श थे तो धर्मराज स्वयं उनकी गोद में आये थे। माताओं को चाहिए कि जब वे गर्भवती हो जायँ तब वे अपनी सन्तान को श्रेष्ठ, अच्छा बनाने की इच्छा से भगवान् की कथायें एवं भगवद्भक्तों के चरित्र सुनें, उनका ही चिन्तन करें और वैसे ही चित्र देखें। इस तरह माँ पर अच्छे सङ्ग का असर होने से श्रेष्ठ सन्तान पैदा होती है। जैसे, जब प्रह्लाद जी की माँ कयाधु गर्भवती थी,  तब नारद जी ने गर्भस्थ शिशु को लक्ष्य करके भगवान् की कथा सुनाई, उपदेश दिया जिससे राक्षस कुल में होते हुए भी प्रह्लाद जी श्रेष्ठ हुए। 
सत्कर्म (सदाचार), सच्चिन्तन, सच्चर्चा और सत्संग - ये चार हैं। 
अच्छे कर्म करना 'सत्कर्म' है। 
 दूसरे के हित का और भगवान् का चिन्तन करना 'सच्चिन्तन' है। 
 आपस में भगवान् और भक्तों के चरित्रों का वर्णन करना और सुनना 'सच्चर्चा' है। 
 मैं भगवान् का हूँ और भगवान् ही मेरे हैं - इस भाव के साथ अटल रूप से स्थित रहना 'सत्संग' है। 
 इन चारों से सन्तान आदर्श, श्रेष्ठ बन सकती है। 
 मनुष्य शरीर में ही यह क्षमता है कि मनुष्य नया निर्माण कर सकता है। अपनी उन्नति कर सकता है और अपने को श्रेष्ठ बना सकता है। अतः मनुष्य को चाहिये कि वह सन्त-महात्माओं का सङ्ग करे। सन्त-माहत्मा न मिलें तो साधन में तत्परता से लगे हुए साधकों का सङ्ग करे। ऐसे साधक भी न मिलें तो गीता-रामायण आदि सत्शास्त्रों का पठन-पाठन एवं मनन करे और अपने कल्याण का विचार रखे। इससे वह श्रेष्ठ पुरुष बन सकता है। 


🚩 स्वामी रामसुखदास जी महाराज 🚩

🚩 पुस्तक - 'गृहस्थ में कैसे रहें' 🚩

🚩 गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित 🚩 


Swami Ramsukhdas ji pravachan written 

إرسال تعليق

Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.