प्रश्न - बच्चों में धर्म के संस्कार कैसे डाले जाएँ?
शंकराचार्य जी का उत्तर - नीति और अध्यात्म से सम्बद्ध जो पुस्तक हैं जैसे की हमारे यहाँ से नीतिनिधि, नीतिसावित्री नामक पुस्तक प्रकाशित है; गीताप्रेस से एक से एक अच्छे विशेषांक आप ले सकते हैं। विद्यालय में तो उस प्रकार की शिक्षा प्रणाली आजकल सुलभ नहीं है लेकिन परिवार के माध्यम से या कोई मठ-मन्दिर के माध्यम से नीति और अध्यात्म का प्रशिक्षण प्रारम्भ करें तो शिक्षा का दूषित प्रभाव नहीं पड़ सकता है।
सीधी बात यह है कि भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, उत्सव, त्योहार, रक्षा, सेवा, न्याय, विवाह ये जितने प्रकल्प हैं, सबके सब शरीर को आत्मा मान करके विश्व में क्रियान्वित हैं। सीधी बात है, हर व्यक्ति कम्युनिस्ट और नास्तिक बने, इसी का प्रकल्प है। देहात्मवादी। शरीर को ही आत्मा मानकर विश्व में शिक्षा, रक्षा…. ये सारे प्रकल्प चल रहे हैं। भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, उत्सव, त्योहार, रक्षा, सेवा, न्याय… ऐसी स्थिति में, विपरीत धारा की स्थिति में, जैसे सूर्यास्त हो गया तो रात्रि है और कृष्णपक्ष भी है.. एक तो रात हो गई फिर कृष्णपक्ष भी है तो भी तो दीया जलाकर, बिजली आदि के माध्यम से जो काम करना होता है कर लेते हैं। इस संक्रमण काल में भी अगर हम स्वयं को, परिवार को बचाना चाहें तो उसके लिए ये अब आवश्यक है जो कुछ मैंने प्रश्न का उत्तर देते समय बताया।
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